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सलाखों के पीछे बचत की दुनिया

जेल के कैदी भी इंसान हैं। उनके भी परिवार वाले, बच्चे, रिश्तेदार और बूढ़े मां-बाप होते हैं। उनके जीवन में आम लोगों की तरह सेलिब्रेशन, बच्चों की एजुकेशन, मेडिकल इमरजेंसी सहित कई इवेंट्स आते हैं। जेल में डिसिप्लिन के साथ तीन साल गुजारने के बाद एक कैदी को अपने परिवार के लोगों से मिलने के लिए पैरोल मिलती है। यह ऐसा समय है जब पैसों की जरूरत होती है। आखिरकार सभी को अपने रोजमर्रा के खर्चों के लिए पैसा चाहिए होता है। तो मुद्दा यह है कि कैदियों को भी बचत करने की जरूरत है। लेकिन बचत शुरू करने के लिए पहले पैसों की आवश्यकता होती है।

हम जानते हैं कि जेल में अधिकतर कैदियों को जो कार्य करने को दिया जाता है, उन्हें उसके लिए 'मशक्कत' यानी वेतन मिलता है। तिहाड़ की सेंट्रल जेल में मशक्कत पाने वाले 5,000 कैदी हैं। मशक्कत में मिलने वाली राशि 4000 रुपये से 12000 रुपये तक होती है। माय गुल्लक इन लोगों को एक शानदार प्लेटफॉर्म देगा। इसमें ये अपनी बचत शुरू कर सकते हैं और इससे धीरे-धीरे एक बड़ा फंड तैयार कर सकते हैं। कैदियों की छोटी-छोटी बचत उनके लिए वरदान बन सकती है। आइए उदाहरण से समझते हैं:

  • हर कैदी एक म्यूचुअल फंड अकाउंट खोलेगा।
  • हर कैदी एक तय पीरियड के लिए हर महीने 1,000 रुपये की बचत करेगा।
  • 5 साल बाद उसका 60,000 रुपये का निवेश 12 फीसदी सालाना की दर से 82,486 रुपये हो सकता है।
  • 10 साल के बाद उसका 1.2 लाख रुपये का निवेश 12 फीसदी सालाना की दर से 2,32,339 रुपये हो सकता है।
  • 15 साल के बाद उसका 1.8 लाख रुपये का निवेश 12 फीसदी सालाना की दर से 5,04,576 रुपये हो सकता है।
  • इस बीच वह कभी भी अपना पैसा वापस निकाल सकता है।
  • वह अपनी इच्छानुसार अपनी मंथली सेविंग्स को बढ़ा भी सकता है।
  • वह अपनी मंथली सेविंग्स को कम भी कर सकता है।
  • साथ ही वह बीच में कभी भी अपने निवेश को रोक भी सकता है।
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