डायनामिक बांड फंड दे सकते हैं अच्छा रिटर्न

जितेंद्र सोलंकी

पिछले कुछ महीनों के दौरान ब्याज दरों में हुई बढ़ोतरी के कारण निवेशकों को फिक्स्ड इनकम के विकल्पों में निवेश का अवसर मिला है। फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) ही नहीं बल्कि डेट म्यूचुअल फंड योजनाओं में भी जोखिम न उठाने वाले निवेशकों की खासी दिलचस्पी देखने को मिली है। इसकी प्राथमिक वजह उच्च ब्याज दरों के कारण यील्ड का बढऩा और इस श्रेणी के स्कीम का कर प्रभावी होना रही है।

वैसे तो निवेशक अपनी जोखिम उठाने की क्षमता और समय-सीमा के आधार पर डेट म्यूचुअल फंडों का चयन कर सकते हैं लेकिन हाल के महीनों में डायनामिक बांड फंडों का प्रदर्शन जबरदस्त रहा है। यह फंड ब्याज दर गतिविधियों से लाभ उठा कर अच्छा रिटर्न देने में सफल रहे हैं। अब सवाल उठता है कि डायनामिक बांड फंड काम कैसे करते हें और निवेशकों को किस समय इसे अपने निवेश पोर्टफोलियो में शामिल करना चाहिए।

क्या हैं डायनामिक बांड फंड?

डायनामिक बांड फंड डेट म्यूचुअल फंड योजनाएं हैं जो डिबेंचरों, सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट, कॉमर्शियल पेपर्स, बांड्स और सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं। इनमें से प्रत्येक इंस्ट्रूमेंट में निवेश योजनाओं के हिसाब से अलग-अलग होता है और यह पूरी तरह फंड मैनेजर के निर्णय पर निर्भर करता है। आम डेट फंडों से थोड़े भिन्न डायनामिक बांड फंडों के अंतर्गत इनमें से किसी भी इंस्ट्रूमेंट में किसी खास अनुपात में निवेश करना अनिवार्य नहीं होता है।

कैसे काम करते हैं डायनामिक बांड फंड?

किसी भी आम डेट फंड में अंतर्निहित प्रतिभूतियों में एक खास अनुपात में निवेश किया जाता है और इन प्रतिभूतियों की मैच्योरिटी भी स्कीम के उद्देश्यों के साथ मेले खाते हैं, इनमें जल्द कोई बदलाव नहीं किया जाता है। अगर यह गिल्ट या इनकम फंड जैसी दीर्घावधि की योजना है तो इनके पोर्टफोलियो की मैच्योरिटी भी दीर्घावधि की होती है जबकि शॉर्ट टर्म फंड जिन सिक्योरिटी में निवेश करते हैं वह अल्पावधि की होती हैं। इन प्रतिभूतियों पर ब्याज दरों के उतार-चढ़ाव का प्रभाव पड़ता है और इस कारण फंड मैनेजर प्रभावित होने वाली प्रतिभूतियों, जैसे इनकम फंड में गिल्ट को, में बदलाव भी कर सकता है। लेकिन पूरे पोर्टफोलियो में कोई भी बदलाव जल्दी-जल्दी नहीं किया जाता।

इसके विपरीत डायनामिक बांड फंडों में फंड प्रबंधकों के पास यह अधिकार होता है कि वह ब्याज दर गतिविधियों को देखते हुए विभिन्न प्रतिभूतियों के निवेश अनुपात को बदलते हुए पोर्टफोलियो की अवधि परिवर्तित कर सकता है। इसलिए, अगर भविष्य में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना दिखती है तो डायनामिक बांड फंडों के फंड मैनेजर पोर्टफोलियो में अल्पावधि के पेपरों की हिस्सेदारी बढ़ाते हुए पोर्टफोलियो की मैचयोरिटी कम करते हैं। शॉर्ट टर्म बांडों पर ब्याज दरों की बढ़ोतरी का असर कम होता है और इस प्रकार फंड मैनेजर बाजार की अस्थिरता का लाभ उठाते हुए अल्पावधि में बेहतर यील्ड देते हैं। इन फंडों का वर्तमान पोर्टफोलियो देखें तो इन्होंने एनसीडी, कॉरपोरेट डिपॉजिट और कॉमर्शियल पेपरों में प्रमुख रूप से निवेश किया हुआ है जो पोर्टफोलियो के अपेक्षाकृत अल्पावधि की मैचयोरिटी को प्रदर्शित करता है।

दूसरी तरफ जब ब्याज दरों में गिरावट का दौर शुरू होता है तो पोर्टफोलियो की अवधि भी बढ़ा दी जाती है ताकि दीर्घावधि के बांड की कीमतों में होने वाली बढ़ोतरी का लाभ उठाया जा सके। इसलिए जब कभी ब्याज दरों में गिरावट आनी शुरू होती है तो डायनामिक बांड फंडों का रिटर्न अच्छा रहता है। ऐसी परिस्थिति में फंड मैनेजर बाजार के अवसरों का लाभ उठाते हुए अच्छा रिटर्न अर्जित करने के लिए गिल्ट और कॉरपोरेट बांड में निवेश के अनुपात में फेरबदल करते हैं।

फंड प्रबंधक निवेश को कैश में भी लगा सकते हैं। अगर अल्पावधि में ब्याज दरों में काफी तेज गतिविधि होती है तो पूरे पोर्टफोलियो को कैश में शिफ्ट किया जा सकता है। इस प्रकार फंड मैनेजर गलत निर्णय लेने के जोखिम से बचते हैं और जब कभी अवसर मिलता है तो वह उसका लाभ उठाने के लिए फंड का निवेश करते हैं।

डायनामिक बांड फंडों का प्रदर्शन?

हाल के दिनों में अधिकतर डायनामिक बांड फंडों का प्रदर्शन मजबूत रहा है। ब्याज दर परिस्थितियों को देखते हुए सक्रिय प्रबंधन और मैच्योरिटी प्रोफाइल को अवसर के अनुसार बदलना इसका प्रमुख कारण रहा है। एसबीआई डायनामिक बांड फंड, जिसने अपनी औसत मैच्योरिटी प्रोफाइल नवंबर 2011 में बढ़ा कर आठ साल से अधिक कर दिया था, मार्च 2012 में इसे घटा कर एक साल से कम कर दिया। नवंबर 2011 में रिलायंस बांड फंड की औसत मैच्योरिटी 11.5 साल की थी वहीं मार्च 2012 में इसे घटा कर 3.73 साल कर दिया गया। इस नीति का लाभ इन दोनों फंडों को मिला है और यही वजह है कि पिछली तिमाही में प्रदर्शन के मामले में यह अव्वल रहे। अधिकतर अन्य डायनामिक बांड फंडों ने नवंबर 2012 में औसत मैच्योरिटी बढ़ा कर जहां 11.5 साल कर दिया था, वहीं मार्च 2012 में इसे घटा कर 3.73 साल कर दिया गया।

अगर आप इन फंडों के दीर्घावधि के प्रदर्शन पर गौर करें तो कुछ फंड ही ऐसे हैं जिनका प्रदर्शन लगातार अच्छा रहा है। बिड़ला सन लाइफ डायनामिक और आईडीएफसी डायनामिक बांड फंड ऐसे ही दो फंड हैं जिसने बाजार की दोनों तरह की परिस्थितियों में अल्पावधि और दीर्घावधि में लगातार बेहतर रिटर्न दिया है। एसबीआई डायनामिक और रिलायंस डायनामिक बांड फंड इस साल की पिछली तिमाही इसलिए अव्वल रहे क्योंकि इनके फंड मैनेजरों ने सही निर्णय लिया। लेकिन दीर्घावधि में प्रदर्शन के मामले में यह दोनों फंड पीछे रहे हैं। पोर्टफोलियो की औसत मैच्योरिटी के सक्रिय प्रबंधन के जरिये डायनामिक बांड फंड दोनों तरह की ब्याज दर परिस्थितियों में अच्छा रिटर्न अर्जित कर सकते हैं।

टेबल---------------

डायनामिक बांड फंडों का प्रदर्शन (मई 2012 के अनुसार, रिटर्न प्रतिशत में) फंड 3 महीना १ साल 3 साल 5 साल औसत मैच्योरिटी बिड़ला सन लाइफ डायनामिक बांड फंड रेट ग्रोथ २.१९ १०.२७ ७.५४ ९.४६ १.८ साल केनरा रोबेको डायनामिक बांड फंड १.९८ ८.९० -- -- ०.०२ साल आईडीएफसी डायनामिक बांड फंड ए ग्रोथ १.७३ ११.६१ ५.६५ ९.३० १.८० साल रिलायंस डायनामिक बांड फंड ग्रोथ १.३७ १०.८४ ६.४२ ४.४५ ३.७३ साल एसबीआई डायनामिक बांड फंड ग्रोथ १.८९ १२.४२ ८.०० ४.५० ०.९५ साल टाटा डायनामिक बांड फंड १.५५ ६.९९ ४.३० ५.४८ -- टॉरस डायनामिक बांड फंड ग्रोथ २.५२ १०.५३ -- -- १.७६ साल यूटीआई डायनामिक बांड फंड ग्रोथ १.८२ ९.६८ -- -- ४.१५ साल

(एक साल से अधिक के रिटर्न एनुअलाइज्ड हैं।)

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कुछ अन्य फंड भी हैं जिनके नाम के साथ डायनामिक नाम नहीं जुड़ा हुआ है लेकिन इनका प्रबंधन डायनामिक बांड फंडों की तरह ही किया जाता है जैसे बीएनपी पारिबा फ्लेक्सी डेट, कोटक बांड रेगुलर, सुंदरम फ्लेक्सिबल इनकम, एल एंड टी सेलेक्ट इनकम-फ्लेक्सी डेट, एचडीएफसी मीडियम टर्म ऑपोच्युनिटीज आदि।

किन्हें करना चाहिए डायनामिक बांड फंडों में निवेश?

छोटे निवेशकों के लिए वैसे फंडों का चयन करना कठिन है जो ब्याज दर पर आधारित निर्णय लेते हैं और जिनका प्रबंधन सक्रिय तौर पर किया जाता है। अधिकतर फाइनेंशियल प्लानर भी जटिल डेट मार्केट को अच्छी तरह नहीं समझ पाते हैं। इसलिए अच्छा यह रहेगा कि ब्याज दरों के आधार पर निवेश का निर्णय फंड मैनेजरों पर छोड़ दिया जाए। ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव की परिस्थितियों से लाभ उठाने के लिहाज से डायनामिक बांड फंड एक अच्छी पसंद हो सकती है।

दीर्घावधि के निवेश के नजरिये से बिड़ला डायनामिक बांड फंड, जिसकी प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति का आकार बड़ा है, खर्चे भी कम है और जिसने कम अस्थिरता के साथ अच्छा रिटर्न दिया है, का चयन किया जा सकता है। इसके अलावा आईडीएफसी डायनामिक बांड फंड भी चुना जा सकता है क्योंकि यह फंड भी अपने पोर्टफोलियो का बेहतर प्रबंधन करने में सफल रहा है।

वैसे निवेशक जो स्वयं ब्याज दर के आधार पर निर्णय नहीं लेना चाहते हैं, अपने पोर्टफोलियो में डायनामिक बांड फंडों को शामिल कर सकते हैं। जिन फंडों की औसत मैच्योरिटी कम होगी वह अगले तीन से छह महीने के दौरान ब्याज दरों में कमी आने पर अच्छा रिटर्न दे सकते हैं। वैसे निवेशक जो थोड़ा जोखिम उठाते हुए दीर्घावधि के लिए निवेश करना चाहते हैं, आम डेट फंड जैसे गिल्ट या इनकम फंडों को चुन सकते हैं जो ब्याज दर घटने की परिस्थिति में अगले दो-तीन साल में अच्छा रिटर्न दे सकते हैं। हालांकि, जो निवेशक ज्यादा जोखिम न उठाते हुए ब्याज दर परिस्थितियों का लाभ उठाना चाहते हैं, वह बिड़ला डायनामिक और आईडीएफसी डायनामिक फंडों का चयन दीर्घावधि के लिए भी कर सकते हैं। निवेशकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि डायनामिक बांड फंडों में अगर कोई सबसे बड़ा जोखिम है तो वह फंड मैनेजर का है। डायनामिक बांड फंडों के चयन में फंड मैनेजर का रिकॉर्ड सबसे अधिक मायने रखता है।

- लेखक दिल्ली स्थित जे. एस. फाइनेंशियल एडवाइजर्स के सर्टिफायड फाइनेंशियल प्लानर हैं।