भारत युवाओं के देश के साथ आधुनिक दुनिया की सबसे तेज बढती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। यहां की विशाल मध्यम वर्ग की आबादी के पास जहां आय का बढ़ता हुआ स्तर है तो वहीं उसकी आंखों में रोज नए-नए सपने तैरते हैं व नवीन आकांक्षाएं भी जन्म लेती हैं। अच्छी प्रति व्यक्ति आय, कामकाजी लोगों की बहुलता और युवाओं की अधिकता से एक ओर जहां आय का स्तर बढ़ा है वहीं दूसरी ओर ज्यादा बचत भी की जा रही है।
हालांकि यह भी सच्चाई है कि अगर इस बचत को सही तरीके से न उपयोग किया जाए तो इसका कोई अर्थ नहीं होगा। उपयोग का सबसे अच्छा तरीका तो यही है कि इसे हम कहीं ऐसी जगह निवेश करें जहां बढिय़ा रिटर्न मिले ताकि हमारे भविष्य के सपने या योजनाएं पूरे हो सकें। क्योंकि हर इंसान के भविष्य की कुछ चाहत होती है, कुछ सपने होते हैं और उसे कुछ जिम्मेदारियों का निर्वाह करना होता है।
खुदरा निवेशकों के लिए डेट म्युचुअल फंड
आज के जमाने में वैसे तो हर निवेशक को म्युचुअल फंड के बारे में जानकारी होती है। म्युचुअल फंडों की इक्व्टिी स्कीम के तहत लंबी समयावधि के लिए उच्चतम रिटर्न पाने के लिए शेयर बाजार में निवेश किया जाता है। पर हो सकता है कि आप में से बहुतों को यह नहीं पता होगा कि म्युचुअल फंडों की ऐसी भी योजनाएं हैं जिसमें शेयर बाजार में निवेश ही नहीं किया जाता। म्युचुअल फंडों की इन योजनाओं को फिक्स्ड इन्कम स्कीम कहा जाता है। इस प्रकार के फंड बैंकों, कॉर्पोरेट कंपनियों व भारत सरकार द्वारा जारी डेट सिक्यूरिटीज में निवेश किए जाते हैं। जिस तरह आपके बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दर रहती है ठीक उसी तरह से ये डेट इंस्ट्रूमेंट्स भी निवेशकों को आवधिक ब्याज का भुगतान करते हैं। इन पर दी जाने वाली ब्याज इस पर निर्भर करती है कि इन्हें किसने जारी किया है। भारत सरकार की अपेक्षा कॉर्पोरेट कंपनियां फिक्स्ड इन्कम म्युचुअल फंडों में
ज्यादा ऊंची ब्याज दरों का भुगतान करती हैं। हम यह बताना चाहते हैं कि फिक्स्ड इन्कम म्युचुअल फंड यह देखते हैं कि कहां से गुणवत्ता पूर्ण व बेहतर रिटर्न मिलेगा फिर वे उसी अनुसार योजना के ध्येय के मुताबिक निवेश करते हैं। चूंकि वे गारंटीड, लो यील्डिंग फिक्स्ड डिपॉजिट में ही नहीं निवेश करते इसलिए वे उच्च रिटर्न जनरेट करने में सक्षम होते हैं। इसके साथ ही म्युचुअल फंड अपने निवेश को विभिन्न प्रकार के फिक्स्ड इन्कम इन्स्ट्रूमेंट्स में निवेश करने के साथ ऐसे कई जारीकर्ताओं के बीच अपनी पोर्टफोलियो होल्डिंग डिवर्सीफाई कर देते हैं। लिहाजा जोखिम कम हो जाता है और निवेशकों के पास उच्चतम रिटर्न कमाने का मौका आ जाता है। अन्यथा उन्हें ऐसे गारंटीड योजनाओं में निवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ता अमूमन जिनसे कम रिटर्न मिलता है।
जैसा कि आप सब जानते भी हैं कि म्युचुअल फंडों में रिटर्न की गारंटी नहीं होती और यह बात फिक्स्ड इन्कम स्कीमों पर भी लागू होती है। इनकी एक और विशेषता को निम्रवत उदाहरण से समझिए। मान लीजिए कि १० फीसदी ब्याज दर- तकनीकी जबान में कूपन दर पर कोई फिक्स्ड इन्कम इन्स्ट्रूमेंट खरीदा है। और इसके साथ ही बाजार में इस तरह के समान इन्स्ट्रूमेंट पर ब्याज दरें घट कर मान लीजिए कि ८ फीसदी हो गईं, तब आपके इन्स्ट्रूमेंट की वैल्यू ऊंची ब्याज दर के कारण बढ़ेगी। उसकी कीमत में इजाफा होगा। लेकिन अगर इसका उलटा हुआ यानी कि बाजार में इस तरह के समान इन्स्ट्रूमेंट पर ब्याज दरें बढ़ती हैं तो आपके इन्स्ट्रूमेंट की कीमत कम हो जाएगी। हम इसे फिक्स्ड इन्कम इस्ट्रूमेंट्स की कीमतों के मूवमेंट में चंचलता कहते हैं।
फिक्स्ड इन्कम इस्ट्रूमेंट्स या फिर डेट योजनाएं या कि डेट म्युचुअल फंड जैसा कि इन्हें जाना जाता है, की सबसे बडी विशेषता तो यह होती है कि ये अपेक्षाकृत कम जोखिम पर उच्चतम रिटर्न जनरेट करने की संभावना से युक्त होते हैं। फिक्स्ड इन्कम इस्ट्रूमेंट्स में बैंकों में जमा रकम सरीखी तरलता भी रहती है क्योंकि इन्हें भी शॉर्ट नोटिस पर बिना किसी पेनाल्टी के विदड्रा भी किया जा सकता है। डेट फंडों में निवेश को कर लाभ भी मिलता है। इन फंडों से प्राप्त लाभांश पर बैंक डिपॉजिट पर भुगतान किए जाने वाले वाले कर की तुलना में कम कर देना होता है। यानी कि फिक्स्ड इन्कम इस्ट्रूमेंट्स या डेट फंड आपको देते हैं:
१- बिना किसी ज्यादा जोखिम के उच्चतम रिटर्न प्राप्त करने की सुविधा।
२- कुछ गारंटीड योजनाओं, जिसमें लॉक-इन पीरियड रहता है, की तुलना में फिक्स्ड इन्कम इस्ट्रूमेंट्स में ऊंची तरलता की सुविधा होती है। और
३- फेवरेबल कराधान यानी कि हायर पोस्ट- टैक्स रिटर्न जिससे कि निवेशकों को अपने निवेश लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलती है।
इन डेट योजनाओं में विविधता भी होती है। मन्थली इन्कम प्लान-एमआईपी व डुएल एडवांटेज फंड ऐसी योजनाएं हैं जो कि अपना अधिकांश तकरीबन ८० फीसदी रकम फिक्स्ड इन्कम इस्ट्रूमेंट्स में निवेश करती हैं जबकि बाकी की छोटी राशि वे इक्व्टिी स्कीमों में निवेश करते हैं। फिक्स्ड इन्कम इस्ट्रूमेंट्स ऐसे निवेशकों के लिए बेहतर होंगे जो कि न्यूनतम ३ साल के टाइम होराइजन में कम जोखिम पर उच्चतम रिटर्न पाना चाहते हैं।
इनमें से ज्यादा स्कीमों में नियमित समय पर लाभांश की विकल्प भी रहता है। हालांकि ऐसी स्कीमों में रिटर्न या लाभांश की गारंटी नहीं होती। पर इसकी संभावना होती है कि जिन स्कीमों में गारंटी दी गई हो उसकी अपेक्षा ज्यादा रिटर्न व अपेक्षाकृत उससे कम रिस्क पर ये जनरेट कर दें।
बस आप आज ही अपने निवेश सलाहकार से मिलें और इन फिक्स्ड इन्कम इस्ट्रूमेंट्स या डेट फंडों के जरिए अपना जीवन धन मय बनाएं।