निवेश अवधि के अनुसार चुनें डेट के विकल्प
बाजार में निवेश के विकल्पों की कमी नहीं है। डेट में निवेश के विकल्प अभी ज्यादा सुरक्षित और बेहतर रिटर्न देने वाले नजर आ रहे हैं। मौजूदा ब्याज दर परिस्थिति में म्यूचुअल फंडों के इनकम फंड, मंथली इनकम प्लान, गिल्ट फंड आदि अच्छा रिटर्न दे सकते हैं। म्यूचुअल फंडों में निवेश के इन विकल्पों में जोखिम भी कम है।
फिक्स्ड इनकम ही निवेश की एक ऐसी श्रेणी है जो निवेशकों को संतुलित निवेश का विकल्प उपलब्ध कराता है और एक साथ कई उत्पाद चुनने की आजादी देता है। इसी कारण दूरदर्शी निवेशक अपने निवेश के एक निश्चित भाग का आवंटन फिक्स्ड इनकम उत्पादों में करने को तरजीह देते हैं। फिक्स्ड इनकम उत्पाद जिन्हें डेट इंवेस्टमेंट या ऋण निवेश के निवेश से भी जाना जाता है, निवेशकों के लिए दो महत्वपूर्ण काम करते हैं- नकदी प्रबंधन या अल्पावधि का निवेश और स्थिर संतुलित निवेश (दीर्घावधि के ऋण फंडों के मामले में)। दूसरी तरफ, हाइब्रिड उत्पाद भी होते हैं जो प्रमुख रूप से फिक्स्ड इनकम में (70 से 90 प्रतिशत) निवेश करते हैं और शेष इक्विटी या सोना या दोनों में निवेशित करते हैं। आमतौर पर इसे एमआईपी के नाम से जाना जाता है।
छोटे निवेशकों के लिए डेट में निवेश के उपलब्ध विकल्प
फिक्स्ड डिपॉजिट (बैंक और कॉरपोरेट डिपॉजिट)
डेट में निवेश का यह विकल्प सबसे अधिक प्रचलित है। छोटे हों या बड़े निवेशक, उनकी पहली पसंद यही होती है। वजह है इसका अपेक्षाकृत अधिक सुरक्षित होना। इनके सुनिश्चित रिटन्र्स को देखते हुए, इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि यह भारत में वाणिज्यिक बैंकों के लिए जमा के सबसे महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक है। कॉरपोरेट भी बैंकों से कर्ज लेने की जगह फिक्स्ड डिपॉजिट के जरिये फंड की उगाही करते हैं। हालांकि, फिक्स्ड डिपॉजिट म्यूचुअल फंडों की तरह आयकर का लाभ नहीं देता है।
लिक्विड फंड्स
म्यूचुअल फंडों के यह प्रोडक्ट अल्पाविध के निवेश नजरिये से अच्छे हैं। इन उत्पादों की निवेश संरचना कुछ ऐसी होती है कि पैसों की जरूरत पडऩे पर इनसे तुरंत निकासी की जा सकती है। साथ ही इनके रिटर्र्न में तुलनात्मक रूप से कम उतार-चढ़ाव होता है। लिक्विड फंड उन लोगों के लिए ज्यादा उपयुक्त है जो एक दिन से एक महीने की अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं।
अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड्स
ये उत्पाद थोड़े-बहुत लिक्विड फंड जैसे हैं। कम निवेश अवधि वाले निवेशक इसे ज्यादा प्राथमिकता देते हैं। इसमें निवेश की संरचना कुछ ऐसी होती है कि इससे पैसों की निकासी आसान होती है। साथ ही इनके रिटर्न में कम अस्थिरता होती है। जहां तक आयकर की बात है तो ये लिक्विड फंडों से बेहतर हैं। तीन सप्ताह या इससे अधिक निवेश अवधि रखने वाले निवेशक इन फंडों में निवेश कर सकते हैं।
ड्यूरेशन तथा गिल्ट फंड
ये उत्पाद मध्यावधि से दीर्घावधि की परिपक्वता वाले उपकरणों में निवेश करते हैं। नकवी कहते हैं कि कुछ निवेशक ब्याज दरों के रुख को देखते हुए निवेश करते हैं और कुछ निवेशक ऐसे होते हैं जो दीर्घावधि के लिए निवेश करना चाहते हैं लेकिन वे इक्विटी और दूसरे निवेश के साथ जुड़ा जोखिम नहीं उठाना चाहते। यह जोखिम न उठाने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त है। गिल्ट फंडों में किए जाने वाले निवेश का १०० प्रतिशत निवेश सरकारी प्रतिभूतियों में होता है। ब्याज दर को ध्यान में रखते हुए इन फंडों में अभी एक से डेढ़ साल के लिए निवेश किया जा सकता है।
शॉर्ट टर्म इनकम फंड
इन फंडों में निवेश की समयसीमा अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंडों और ड्यूरेशन फंडों के बीच की होती है। इन फंडों का मुख्य मकसद नियमित आय होता है न कि पूंजी में बहुत अधिक बढ़ोतरी करना। ब्याज दर गतिविधि को ध्यान में रखते हुए इनमें एक माह से एक वर्ष के बीच की समयावधि के लिए निवेश कर लाभ अर्जित किया जा सकता है।
एमआईपी
ये फंड निवेशकों को एक साथ कई परिसंपत्ति वर्ग में निवेश करने का विकल्प उपलब्ध कराते हैं। फंड प्रबंधक प्रमुख रूप से ऋण में निवेश करते हैं लेकिन पोर्टफोलियो के एक हिस्से का निवेश इक्विटी या सोना या दोनों में किया जाता है। निवेशकों को 1-2 साल की अवधि के लिए एमआईपी में निवेश करना चाहिए। मौजूदा ब्याज दर परिस्थिति और शेयर बाजार के हालात को देखते हुए इनकम फंड और एमआईपी में निवेश करना ज्यादा अच्छा रहेगा क्योंकि एक तरफ जहां यह ब्याज दरों में होने वाले उतार-चढ़ाव से लाभ अर्जित कर पाएंगे वहीं इक्विटी में एक छोटे हिस्से के निवेश से पूंजी में बढ़ोतरी का लाभ मिल सकता है।