म्युचुअल फंड प्रत्येक वर्ग के निवेशकों के लिए है। विश्व भर में निवेशक म्यूचुअल फंडों में निवेश कर रहे हैं क्योंकि यह मेहनत की कमाई के जरिए भविष्य की वित्तीय योजनाओं के लिए सबसे आसान और सुविधाजनक माध्यम है। म्युचुअल फंड आपके आर्थिक लक्ष्यों की प्राप्ति में आपकी मदद करते हैं। लेकिन इन सबसे पहले निवेश के मूलभूत सिद्धांतों को समझा जाए।
िवेश और आप
निवेश एक आसान प्रक्रिया नहीं है। हालांकि, अगर आपको मूल्भूत चीजों की समझ हो तो निवेश संबंधी निर्णय लेने में काफी आसानी होगी। साथ आपका अनुभव भी खुशी देने वाला होगा। अगर आप चरणबद्ध तरीके से निवेश करें तो सफल निवेशक बनने में कोई अड़चन नहीं आएगी।
अपनी वित्तीय जरूरतों और लक्ष्य की पहचान करें
सबसे पहले आप अपनी वित्तीय जरूरतों और लक्ष्यों को ठीक तरह से समझें। अपने आप से पूछें कि मुझे पैसों की जरूरत कब पड़ेगी और किस उद्येश्य से। अपने वित्तीय लक्ष्यों (जैसे 6 साल बाद बच्चों की शादी या 10 साल बाद घर की खरीदारी) को लिख कर रख लें। साथ ही यह भी गणना करें कि आपको इन सब लक्ष्यों के लिए कितनी राशि की जरूरत होगी। इससे आपको निवेश की समयावधि का पता चलेगा कि आपको अल्पावधि, मध्यावधि या फिर दीर्घावधि के लिए निवेश करना चाहिए।
निवेश हमेशा ही समय-सीमा के अनुरूप किया जाना चाहिए। दीर्घावधि के लक्ष्य जैसे सेवानिवृत्ति और बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए इक्विटी फंडों का चयन करें। भले ही अल्पावधि में इनमें अस्थिरता देखने को मिले लेकिन दीर्घावधि में ये आपकी आशा के अनुरूप रिटर्न दे सकते हैं। इसी प्रकार, अल्पावधि के लक्ष्यों के लिए आपको मनी मार्केट या कैश फंडों में निवेश करना चाहिए क्योंकि ये अपेक्षाकृत ज्यादा स्थिर होते हैं।
जोखिम उठाने की क्षमता को समझें
निवेश का निर्णय लेने से पहले, अपनी जोखिम उठाने की क्षमता का आकलन करना जरूरी है। क्या आप निवेश-मूल्य में होने वाली अस्थिरता को झेल सकते हैं? या आप कम रिटर्न के वाले ऐसे माध्यम का चयन निवेश के लिए करना चाहते हैं, जहां उतार-चढ़ाव कम होता हो। इक्विटी में निवेश करने के बाद अल्पावधि की अस्थिरता की वजह से अपनी नींद खोने का कोई तुक नहीं बनता है। लेकिन, साथ ही यह भी जरूरी है कि आपके निवेश पर उतना रिटर्न मिले जिससे आपके दीर्घावधि के वित्तीय लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद मिले।
आप कितना रिटर्न चाहते हैं
अपेक्षित रिटर्न की दर आपके वित्तीय लक्ष्यों और उसकी समय-सीमा पर निर्भर करता है। इसे एक उदाहरण के जरिए समझते हैं।
अगर आप 58 साल में सेवानिवृत्त होना चाहते हैं और इसके लिए 20 लाख रुपये का कोष बनाना चाहते हैं तथा प्रति महीने 5,000 रुपये का निवेश करते हैं तो 34 साल की उम्र में आपको 9.5 प्रतिशत के रिटर्न की जरूरत होगी जबकि 48 साल की उम्र में 21.2 प्रतिशत के रिटर्न की।
जैसा कि उदाहरण से स्पष्ट है, आप निवेश की शुरुआत में जितना विलंब करेंगे आपको उतने ही अधिक रिटर्न की जरूरत होगी। दूसरे शब्दों में कहें तो, जैसे-जैसे निवेश की समय-सीमा घटती है आपको अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उतना ही अधिक जोखिम उठाना पड़ सकता है। वैकल्पिक तौर पर, अगर आप ज्यादा जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं तो आपको प्रति महीने अधिक राशि का निवेश करना होगा।
अनुशासित निवेश जरूरी
सिस्टेमेटिक निवेश निवेशकों के लिए इक्विटी बाजार से लाभ कमाने का न केवल आसान बल्कि एक प्रभावी माध्यम है। इससे अस्थिरता का जोखिम कम होता है।
क्या हों मानदंड
म्यूचुअल फंड कंपनी का टै्रक रिकॉर्ड/अनुभव, निवेश टीम और निवेश प्रक्रिया की स्थिरता, विभिन्न बाजार चक्रों में लगातार बेहतर प्रदर्शन, सेवा में पारदर्शिता, विभिन्न समय-सीमा में बराबरी के फंडों की तुलना में प्रदर्शन और निवेश शैली या प्रक्रिया जो आपकी जोखिम उठाने की क्षमता के अनुरूप हो।
आयकर का लाभ
म्यूचुअल फंडों के निवेश करने पर इंडेक्सेशन का लाभ मिलता है। इसके अतिरिक्त ईएलएसएस में निवेश करने पर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कर में छूट में मिलती है। निवेशकों को मिलने वाला लाभांश कर-मुक्त होता है।
निवेश की समीक्षा
निवेश निर्णय लेने से पहले यह देखें कि यह आपके वर्तमान परिसंपत्ति आवंटन को किस प्रकार प्रभावित करता है। जैसे-जैसे समय गुजरता जाता है, आपकी जीवन शैली के साथ-साथ आय में भी परिवर्तन होता है। निवेश लक्ष्य, जोखिम उठाने की क्षमता, निवेश का प्रदर्शन आदि के आधार पर समीक्षा की जानी चाहिए कि क्या निवेश निर्णय में किसी तरह के बदलाव की जरूरत है।
लेखक फ्रैंकलिन एशियन इक्विटीज फ्रैंकलिन टेंपलटन एसेट मैनेजमेंट (इंडिया) के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ इंवेस्टमेंट ऑफिसर हैं।