कम समय के लिए अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड आकर्षक

भारतीय रिजर्व बैंक निकट भविष्य में ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगा इस बात की संभावना कम ही है। वर्तमान में शॉर्ट टर्म यील्ड अधिक है और अगर भविष्य में दरों में कटौती की जाती है तो पूंजीगत लाभ में इजाफा होगा। इस नजरिये से देखा जाए तो वर्तमान समय में काफी कम अवधि यानी ४० से 90 दिनों के निवेश के लिहाज से अल्ट्रा शॉर्ट टर्म बांड फंड बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में कहीं ज्यादा आकर्षक हैं।

फ्रैंकलिन टेंपलटन एसेट मैनेज मेंट कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर विवेक कुदवा कहते हैं कि अगर को निवेशक अल्पावधि के लिए निवेश करना चाहता है तो म्यूचुअल फंडों के अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड अच्छे विकल्प साबित हो सकते हैं। इनका करपश्चात रिटर्न बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट से मिलने वाले रिटर्न से कहीं अच्छा हो सकता है। लेकिन अगर निवेश की अवधि ज्यादा समय की है तो अन्य विकल्पों पर विचार किया जाना चाहिए।

कोटक म्यूचुअल फंड के फिक्स्ड इनकम की हेड लक्ष्मी अय्यर कहती हैं कि पिछले दिनों भारतीय रिजर्व बैंक ने एसएलआर में कटौती की है। लेकिन जब तक ब्याज दरों में कटौती नहीं होती है तब तक निवेशक अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंडों में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं। निवेशकों को इस फंड में कम से कम 40 दिनों के लिए निवेश करना चाहिए।

अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड ओपन एंडेड फंड होते हैं। ये फंड ऐसी प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं जो लगभग 90 दिनों में परिपक्व होते हैं ताकि यह बेहतर रिटर्न अर्जित कर सकें। परिसंपत्तियों का एक हिस्सा मार्क टु मार्केट होता है जिसका मतलब है कि प्रतिभूतियों की मार्किंग इनकी दैनिक कीमतों के आधार पर की जाती है ताकि नेट एसेट वैल्यू यानी एनएवी की गणना की जा सके। अधिकतर अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंडों में 30 दिनों के बाद निकासी करने पर एक्जिट लोड नहीं लगाया जाता है।

म्‍यूचुअल फंडों के जानकार कहते हैं कि अल्ट्रा शॉर्ट टर्म मौजूदा समय में आकर्षक हैं। इनमें ब्याज दर जोखिम न्यूनतम होता है। अगर कोई निवेशक कम समय के लिए पैसों का निवेश करना चाहता है तो यह एक अच्छा विकल्प है। उच्च कर वर्ग में आने वाले निवेशकों के लिए भी यह एक बेहतरीन विकल्प है, ऐसे निवेशक डिविडेंड री-इंवेस्टमेंट प्लान का चयन कर सकते हैं क्योंकि डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स 13.51 प्रतिशत है जो अल्पावधि के आयकर की दरों- २०.६ प्रतिशत (20 फीसदी के कर दायरे में आने वाले निवेशकों के लिए) और ३०.९ प्रतिशत (३० फीसदी के कर दायरे में आने वाले निवेशकों के लिए) के मुकाबले कम है।