इक्विटी और डेट के निवेश को संतुलित करने का समय
भविष्य के अनिश्चित स्वभाव और इससे जुड़े हुए जोखिम को देखते हुए मौजूदा संसाधनों को बचाकर रखना मानव स्वभाव में शामिल है। किसी भी व्यक्ति में बचत करने की भावना होना बहुत ही स्वाभाविक है क्योंकि हर व्यक्ति खुद को सरक्षित रखना चाहता है। इसके साथ ही व्यक्ति अपने विकास और बेहतर प्रदर्शन पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
मौजूदा आर्थिक माहौल की पेचीदगी, निवेशक की इच्छाएं, वैश्विक अर्थव्यवस्था और एक बाद एक होती हलचलों के चलते निवेशकों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण माहौल बन गया है। इससे भी ज्यादा जोखिम भरा यह है कि आपके पास कुछ है नहीं उसके बावजूद आप बचत करना चाहते हैं। कारण यह है कि मुद्रास्फीति धीरे धीरे आपकी बचत को खा जाएगी।
कहने का मतलब यह है आर्थिक रूप से स्वतंत्रता पाने के लिए बचत एक अहम तत्व है। हालांकि इस बात में केवल आधी सच्चाई है। अगर आप निवेश करने के लिए वैज्ञानिक नजरिया अपनाते हैं तो उसी स्थिति में आपको इच्छनुसार इसका फल मिल पाएगा। अगर सरल शब्दों में कहें तो सही तरीके से निवेश करने में जल्द शुरुआत, लक्ष्यों की जानकारी, नियमित तौर पर निवेश, प्लानिंग करना बेहद जरूरी है।
एक केस स्टडी में 31 साल तक अलग अलग असेट क्लास के प्रदर्शन पर नजर रखी गई और यह पाया गया कि इक्विटी मार्केट का कमपाउंड एनवल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) १६ फीसदी रहा। इस दौरान सोने, फिक्स्ड डिपॉजिट में जो निवेश किया गया उसपर क्रमश: 9-10 फीसदी और 8-10 फीसदी का रिटर्न मिला।
हम जो बात कह रहे हैं वह काफी आसान है। एक असेट क्लास के तौर पर इक्विटी में अन्य विकल्पों की तुलना में ज्यादा अच्छा रिटर्न मिलता है। हालांकि डेट निवेश में कम उतार चढ़ाव और स्थिरता की जो बात है, यह इसे काफी महत्वपूर्ण असेट क्लास बनाती हैं। निवेश लक्ष्यों को पूरा करने के लिए डेट असेट बेहद जरूरी हैं।
इससे भी जरूरी बात यह है कि निवेश की शुरुआत व्यक्ति को योजना के साथ जल्द से जल्द करनी चाहिए। इसकी दो वजह हैं। एक तो इससे निवेशक अधिक जोखिम लेने की स्थिति में होता है और दूसरा कि लंबे समय में उसे रिटर्न अच्छा मिलता है। इसके अलावा निवेश योजना निवेशकों को पोर्टफोलियो को नियंत्रित करने के उपाय भी उपलब्ध कराता है। इससे निवेश के विभिन्न कारकों जैसे पूंजी आवंटन, परिसंपत्ति आवंटन, समय-सीमा का निर्धारण, जोखिम उठाने की क्षमता आदि के निर्धारण में मदद मिलती है ताकि निवेश के उद्देश्य आसानी से प्राप्त हो सकें।
अगर मौजूदा परिदृश्य की बात करें तो तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और आरबीआई द्वारा पॉलिसी बदलावों को डेट फंड में पहले ही शामिल किया जा चुका है। उदाहरण के तौर पर आर्थिक प्रदर्शन की बदलती हुई स्थिति ने ब्याज दरों में कटौती को देर-सबेर अनिवार्य कर दिया है। हालांकि पिछले 12 महीने में डॉलर की तुलना में रुपये में करीब 23 फीसदी की गिरावट की आई है। इसने तेल जैसी महत्वपूर्ण कमॉडिटी के आयात को महंगा बना दिया है। नतीजतन अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ेगा। मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए आरबीआई इस संबंध में कदम उठाने से पहले तेल की कीमतों के कम होने का इंतजार कर सकता है।
इसकी वजह से आने वाले कुछ महीनों में यील्ड कर्व निर्धारित रेंज में ही रहने की उम्मीद है। इस वक्त आरबीआई की ओर से विदेशी मुद्रा बाजार में दखल की संभावना है। इसके लिए सख्त कदम भी उठाए जा सकते हैं जिसके चलते कर्व के अंत पर ईल्ड में गिरावट दर्ज की जा सकती है। ऊपर से एडवांस टैक्स आउटफ्लो की वजह से कम अवधि में यह कर्व ऊपर का रुख कर सकता है।
ऐसे में डेट मार्केट का प्रदर्शन अगले कुछ महीने मे एक रेंज के अंदर ही रहेगा।
अगर इक्विटी के नजरिये से देखें तो वित्त वर्ष 2013 में विकास दर सात फीसदी तक रहने की उम्मीद है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि मौजूदा चुनौतियों के मद्देनजर शेयर बाजार पर इसका असर पड़ सकता है। यही कारण है कि आर्थिक मोर्चे पर हो रही हलचल की वजह से यह नीचे की ओर भी जा सकता है। इसके बावजूद मार्केट अर्निंग और अर्निंग ग्रोथ आउटलुक सकारात्मक हो सकता है।
उदाहरण के तौर पर अपनी अर्थव्यवस्था को नए सिरे से खड़े करने की यूरोपीय संघ की कोशिश और देशों को जोड़कर रखने के प्रयास से विश्वभर के बाजारों को राहत मिलने की उम्मीद है। साथ ही करंट अकाउंट डेफिसिट को कम करने और रुपये को मूल्य को बरकरार रखने के प्रयास का असर शेयर बाजार भी दिखाई पड़ सकता है। इसके चलते पूरे आर्थिक परिदृश्य में बदलाव हो सकता है जिससे बाजार में एक बार फिर से सुधार की उम्मीद है।